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phool ki kheti

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowering Plants to be sown in Summer)

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowering Plants to be sown in Summer)

गर्मियों का मौसम सबसे खतरनाक मौसम होता है क्योंकि इस समय बहुत ही तेज गर्म हवाएं चलती हैं। इनसे बचने के लिए हम सभी का मन करता है की ठंडी और खुसबुदार छाया में बैठ कर आराम करने का। 

यही आराम हम बाहर बाग बागीचो में ढूंढतेहै ,लेकिन अगर आप थोड़ी सी मेहनत करे तो आप इन ठंडी छाया वाले फूलों का अपने घर पर भी बैठ कर आनंद ले सकते है।

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowers to plant in the summer season:)

गर्मियों के मौसम की एक खास बात यह होती है को यह पौधों की रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय होता है। तेज धूप में पौधे अच्छे से अपना भोजन बना पाते है।

साथ ही साथ उन्हें विकसित होने में भी कम समय लगता है। ऐसे में आप गेंदे का फूल , सुईमुई का फूल , बलासम का फूल और सूरज मुखी के फूल बड़ी ही आसानी से अपने घर के गार्डन में लगा सकते है। 

इससे आपको घर पर ही गर्मियों के मौसम में ठंडी और खुसबुदार छाया का आनंद मिल जायेगा।अब बात यह आती है की हम किस प्रकार इन फुलों के पौधों को अपने घर पर लगा पाएंगे। 

इसके लिए सबसे पहले आपको मिट्टी, फिर खाद और उर्वरक और अंत में अच्छी सिंचाई करनी होगी। साथ ही साथ हमे इन पौधों की कीटो और अन्य रोगों से भी रोकथाम करनी होगी। तो चलिए अब हम आपको बताते है आप प्रकार इन मौसमी फुलों के पौधों लगा सकते है।

गर्मियो में फूलों के पौधें लगाने के लिए इस प्रकार मिट्टी तैयार करें :-

mitti ke prakar

इसके लिए सबसे पहले आप जमीन की अच्छी तरह से उलट पलट यानी की पाटा अवश्य लगाएं।खेत को अच्छे से जोतें ताकि किसी भी प्रकार का खरपतवार बाद में परेशान न करे पौधों को।

मौसमी फूलों के पौधों के बीजों के अच्छे उत्पादन के लिए जो सबसे अच्छी मिट्टी होती हैं वह होते हैं चिकनी दोमट मिट्टी।इन फुलों को आप बीजो के द्वारा भी लगा सकते है और साथ ही साथ आप इनके छोटे छोटे पौधें लगाकर रोपाई भी कर सकते हैं। 

इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी का भी आप इस्तेमाल कर सकते है बीजों को पैदावार के लिए। इसके लिए आप 50% दोमट मिट्टी और 30% खाद और 20% रेतीली मिट्टी को आपस में अच्छे से तैयार कर ले। 

एक बार मिट्टी तैयार हो जाने के बाद आप इसमें बीजों का छिड़काव कर दे या फिर अच्छे आधा इंच अंदर तक लगा देवे। उसके बाद आप थोड़ा सा पानी जरूर देवे पौधों को।

गर्मियों में फूलों के पौधों को इस प्रकार खाद और उर्वरक डालें :-

khad evam urvarak

मौसमी फूलों के पौधों का अच्छे से उत्पादन करने के लिए आप घरेलू गोबर की खाद का इस्तमाल करे न की रासायनिक खाद का। रासायनिक खाद से पैदावार अच्छी होती है लेकिन यह खेत की जमीन को धीरे धीरे बंजर बना देती है। 

इसलिए अपनी जमीन को बंजर होने से बचाने के लिए आप घरेलू गोबर की खाद का ही इस्तमाल करे। यह फूलों के पौधों को सभी पोषक तत्व प्रोवाइड करवाती है।

100 किलो यूरिया और 100 किलो सिंगल फास्फेट और 60 किलो पोटाश को अच्छे मिक्स करके संपूर्ण बगीचे और गार्डन में मिट्टी के साथ मिला देवे। खाद और उर्वरक का इस्तेमाल सही मात्रा में ही करे । ज्यादा मात्रा में करने पर फुल के पौधों में सड़न आने लगती है।

गर्मियों में फूलों के पौधों की इस प्रकार सिंचाई करे :-

phool ki sichai

गर्मियों में पौधों को पानी की काफी आवश्यकता होती है। इसके लिए आप नियमित रूप से अपने बगीचे में सभी पौधों की समान रूप से पानी की सिंचाई अवश्य करें। 

पौधों को सिंचाई करना सबसे महत्वपूर्ण काम होता है, क्योंकि बिना सिंचाई के पौधा बहुत ही काम समय में जल कर नष्ट हो जायेगा। 

इसी के साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए की गर्मियों के मौशम में पौधों को बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता होती हैं और वहीं दूसरी तरफ सर्दियों के मौसम में फूलों को काफी कम पानी की आवश्यकता होती है। 

इन फूलों के पौधों की सिंचाई के लिए सबसे अच्छा समय जल्दी सुबह और शाम को होता है।सिंचाई करते समय यह भी जरूर ध्यान रखे हैं कि खेत में लगे पौधों की मिट्टी में नमी अवश्य होनी चाहिए ताकि फूल हर समय खिले रहें। क्यारियों में किसी भी प्रकार का खरपतवार और जरूरत से ज्यादा पानी एकत्रित ना होने देवे।

गर्मियों के फुलों के पौधों में लगने वाले रोगों से बचाव इस प्रकार करे :-

phoolon ke rogo se bachav

गर्मियों के समय में ना  केवल पौधों को गर्मी से बचाना होता है बल्कि रोगों और कीटों से भी बचाना पड़ता है।

  1. पतियों पर लगने वाले दाग :-

इस रोग में पौधों पर बहुत सारे काले और हल्के भूरे रंग के दाग लग जाते है। इस से बचने के लिए ड्यूथन एम 45 को 3 ग्राम प्रति लिटर में अच्छे से घोल बना कर 8 दिनों के अंतराल में छिड़काव करे। इस से सभी काले और भूरे दाग हट जाएंगे।
  1. पतियों का मुर्झा रोग :-

इस रोग में पौधों की पत्तियां धीरे धीरे मुरझाने लगती है और बाद में संपूर्ण पौधा मरने लग जाता है।इस से बचाव के लिए आप पौधों के बीजों को उगाने से पहले ट्राइको टर्म और जिनॉय के घोल में अच्छे से मिक्स करके उसके बाद लगाए। इस से पोधे में मुर्झा रोग नहीं होगा।
  1. कीटों से सुरक्षा :-

जितना पसंद फूल हमे आते है उतना ही कीटो को भी। इस में इन फूलों पर कीट अपना घर बना लेते है और भोजन भी। वो धीरे धीरे सभी पतियों और फुलों को खाना शुरू कर देते है। इस कारण फूल मुरझा जाते है और पोधा भी। इस बचाव के लिए आप कीटनाशक का प्रति सप्ताह 3 से 4 बार याद से छिड़काव करे।इससे कीट जल्दी से फूलों और पोधें से दूर चले जायेंगे।

गर्मियों में मौसम में इन फुलों के पौधों को अवश्य लगाएं अपने बगीचे में :-

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल - सूरजमुखी (sunflower)
  1. सुरजमुखी के फुल का पौधा :-

सूरजमुखी का फूल बहुत ही आसानी से काफी कम समय में बड़ा हो जाता है। ऐसे में गर्मियों के समय में सुरज मुखी के फूल का पौधा लगाना एक बहुत ही अच्छी सोच हो सकती है। 

आप बिना किसी चिंता के आराम से सुरज मुखी के पौधे को लगा सकते हैं। गर्मियों के मौसम में तेज धूप पहले से ही बहुत होती है और सूरज मुखी को हमेशा तेज धूप की ही जरूरत होती हैं।

  1. गुड़हल के फूल का पौधा :-

गर्मियों के मौसम में खिलने वाला फूल गुड़हल बहुत ही सुंदर दिखता है घर के बगीचे में।गुड़हल का फूल बहुत सारे भिन्न भिन्न रंगो में पाया जाता हैं। 

गुड़हल का सबसे ज्यादा लगने वाला लाल फूल का पौधा होता है। यह न केवल खूबसूरती के लिए लगाया जाता है बल्कि इस से बहुत अच्छी महक भी आती है।

  1. गेंदे के फूल का पौधा :-

गेंदे का फूल बहुत ही खुसबूदार होता है और साथ ही साथ सुंदर भी। गेंदे के फूल का पौधा बड़ी ही आसानी से लग जाता है और इसे आप अपने घर के गार्डन में आराम से लगाकर सम्पूर्ण घर को महका सकते है।।

ये भी पढ़े: गेंदे के फूल की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

  1. बालासम के फूल का पौधा :-

बालासाम का पौधा काफी सुंदर होता है और इसमें लगने वाले रंग बिरंगे फूल इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। यह फूल बहुत ही कम समय में खेलना शुरू हो जाते हैं यानी की रोपाई के बाद 30 से 40 दिनों के अंदर ही यह पौधा विकसित हो जाता है और फूल खिला लेता है।

गर्मियों के मौसम मे उगाए जाने वाले तीन सबसे शानदार फूलों के पौधे

गर्मियों के मौसम मे उगाए जाने वाले तीन सबसे शानदार फूलों के पौधे

गर्मी का समय भारत मे बहुत सारी फसलों और पौधों को उगाने के लिए काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे मे यदि आप भी अच्छे फूलों वाले और अपने बाग/बगीचों को रंगीन बनाना चाहते है, तो यह समय बहुत ही अच्छा है, फूलों वाले पौधों को लगाने के लिए। दर - असल गर्मी के समय मे ज्यादा वस्पीकरण होने के कारण जलवायु मे परिवर्तन होता है जिससे पौधों का विकास अच्छे से होता है। आइये जानते हैं गर्मियों मे उगाए जाने वाले फूलों के पौधे की जानकारी। इन पौधों को लगाने के लिए आप सबसे अच्छा समय मार्च माह से लेकर अप्रैल माह तक मान सकते है। क्योंकि इस समय ना ही तेज हवाएं चलती हैं और ना ही ज्यादा गर्मी होती है ऐसे मे आप एक शांत दिन चुनकर जीनिया , सदाबहार और बालसम जैसे पौधों की बुवाई रोपाई करना शुरू कर सकते हैं। ऐसे मे आज हम आपको तीन ऐसे गर्मी की ऋतु में लगाए जाने वाले पौधों के बारे मे बताएंगे :- जीनिया सदाबहार और बालसम

जीनिया (Zinnia)

Zinnia ke phool जीनिया बहुत ही खूबसूरत और रंगीन फूलों वाला बगीचे की शान बढ़ाने वाला फूल होता है। जीनिया काफी तेज गति से उगता है और इसे उगाने मे किसी भी प्रकार की ज्यादा परेशानी भी नहीं होती है। जीनिया पौधे को हम वैज्ञानिक जोहान ट्वीट जिन के नाम से भी जान सकते हैं। जीनिया मे खूबसूरत फूल लगने के कारण यह सबसे ज्यादा तितलियों और अन्य कीड़ों मकोड़ों को बहुत ही ज्यादा लुभाता है। ऐसे मे कई सारी बीमारियां और पौधों मे फूल झड़ने और पौधों के मुरझाने का भी डर सताया रहता है। ये भी पढ़े: गेंदा के फूल की खेती की सम्पूर्ण जानकारी जीनिया की उत्पत्ति सबसे पहले उत्तरी अमेरिका मे हुई थी उसके बाद यह अन्य सभी देशों मे वितरित होने लगा। तो चलिए जानते हैं जीनिया पौधे की खेती हम किस प्रकार कर सकते हैं :-

1.जीनिया पौधे की सिंचाई इस प्रकार करें :-

जीनिया पौधे की सिंचाई हमेशा उसकी जड़ों पर की जाती हैं ना कि उसकी टहनियों शाखाओं और पत्तियों पर। क्योंकि यह पौधा बहुत कम समय में विकसित होने लगता है और ऐसे मे अगर हम पत्तियों पर पानी डालेंगे तो अन्य प्रकार के कीड़े मकोड़े और बीमारियां लगने का डर रहता है। प्रति सप्ताह दो से तीन बार जीनिया की सिंचाई अवश्य रूप से करनी चाहिए। गर्मी की ऋतु में वाष्पीकरण से बचने के लिए जब जीनिया का पौधा बड़ा हो जाता है तो हम उसके आसपास पत्तियां और घास फूस डाल सकते हैं।

2. जीनिया पौधे की कटाई और बीजों का सही संग्रह इस प्रकार करें :-

जीनिया पौधे के बीजों को एकत्रित करने के लिए सबसे पहले आपको इस पौधे के बड़े-बड़े फूलों को नहीं काटना होगा। यदि आप इस पौधे के फूलों को काटना बंद नहीं करेंगे तो फिर बीज नहीं आएंगे। जब फूल एक बार बीज देना शुरू करें तब आप अपने हाथों द्वारा धीरे से मसलकर बीजों को किसी भी बर्तन मैं धूप में रख कर सुखा दें। इस प्रकार आप जीनिया पौधे की कटाई और बीजों को एकत्रित कर पाएंगे।

3. जीनिया पौधे मे लगने वाले कीड़े और बीमारियों का समाधान इस प्रकार करें :-

पौधों में कीड़े लगना आम बात हैं चाहे वह जीनिया हो सदाबहार हो या फिर बालसम लेकिन जीनिया के पौधों में अक्सर कीड़े बहुत ही कम समय में पड़ने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में आप अच्छे से अच्छे कीटनाशकों का छिड़काव करें सप्ताह मे दो-तीन बार। ये भी पढ़े: जानिए सूरजमुखी की खेती कैसे करें जीनिया के पौधों मे पढ़ने वाले कीट पतंगों को हम अपनी आंखों से आसानी से देख सकते हैं ऐसे में आप सुबह सुबह जल्दी कीटनाशकों का छिड़काव करें और समय-समय पर पौधों को झाड़ते रहे।

गर्मियों मे उगाए जाने वाले फूलों के पौधे : सदाबहार

sadabahar phool सदाबहार जिसका मतलब होता है हर समय खीलने वाला पौधा। सदाबहार एकमात्र ऐसा पौधा है जो भारत मे पूरे 12 महीना खिला रहता है। भारत मे इसकी कुल 8 जातियां हैं और इसके अलावा इसकी बहुत सारी जातियां बाहरी इलाकों जैसे मेडागास्कर मे भी पाई जाती हैं। सदाबहार बहुत सारी बीमारियों जैसे जुखाम सर्दी आंखों में होने वाली जलन मधुमेह और उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में करने के लिए भी किया जाता है। यह बहुत ही लाभदायक और फायदेमंद पौधा होता है। भारत में इसे बहुत सारे इलाकों में सदाबहार और सदाफुली भी कहते हैं।

1. सदाबहार पौधे की बुवाई ईस प्रकार करें :-

सदाबहार पौधे की बुवाई करने के लिए सबसे पहले आप कम से कम 6 इंच की गहरी क्यारी तैयार करें। इससे पौधे को अच्छे से उगने में काफी सहायता होती हैं और इसकी जड़े भी मजबूत रहती हैं। जब आप इसकी रोपाई करें उससे पहले आप यह तय कर लें कि 1 इंच मोटी परत की खाद को मिट्टी के अंदर अच्छे से मिलाएं। सदाबहार पौधे की बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय सितंबर माह से फरवरी माह के बीच में होता है। इस समय सदाबहार पौधे को ना ही ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता होती हैं और ना ही ज्यादा खाद उर्वरक की। ये भी पढ़े: सूरजमुखी खाद्व तेलों में आत्मनिर्भरता वाली फसल

2. सदाबहार पौधे की सिंचाई और खाद व्यवस्था इस प्रकार करें :-

सदाबहार पौधे की रोपाई करने के कम से कम 3 महीने के बाद आपको 20-20 दिनों के अंतराल से सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। सदाबहार पौधे को कम पानी की आवश्यकता होती हैं ऐसे मे अगर आप ज्यादा सिंचाई करेंगे तो यह इतना ज्यादा पानी सहन नहीं कर पाएगा और नष्ट होने की संभावना ज्यादा रहेगी। इसके आसपास किसी भी प्रकार के खरपतवार को ना रहने दे। अप्रैल माह से लेकर जुलाई माह तक सदाबहार पौधे की अच्छे से सिंचाई करना बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि इस समय गर्मी की ऋतु में बहुत ज्यादा वाष्पीकरण होता है। ऐसे मे पौधों को ज्यादा पानी की आवश्यकता होती हैं। समय समय पर खाद और कीटनाशकों का छिड़काव करें ताकि पौधों मे किसी भी प्रकार का रोग या बीमारी ना लगने पाए।

3. सदाबहार पौधे की कटाई छटाई इस प्रकार करें :-

सदाबहार पौधा कम से कम 1 साल के समय के अंतराल में पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। सदाबहार पौधे के रोपाई के एक साल बाद आप तीन-तीन महीने के अंतराल में इसकी टहनियां पत्तियां और बीज और फलों को आप अलग-अलग तरीकों से एकत्रित करें। सबसे पहले आप इसके फलों को एकत्रित करें और अवांछित शाखाओं और टहनियों को हटा दें। फूलों से निकाले गए बीजों को आप गर्मी के मौसम में धूप में रख कर अच्छे से अंकुरित करना ना भूले।

बालसम

balsam phool ki kheti बालसम यानि की पेरू जिसका आमतौर पर सबसे ज्यादा उपयोग बवासीर की समस्या से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। बालसम की खेती संपूर्ण भारत मे की जाती है और सबसे ज्यादा इन राज्यों में कर्नाटक, बंगाल , उतर प्रदेश ,हरियाणा ,बिहार और पंजाब शामिल है। इसकी पैदावार इन राज्यों में सबसे ज्यादा होती है।यह कैंसर और यूरिन से संबंधित बीमारियों के लिए बहुत ही ज्यादा फायदे मंद है। साथ ही साथ बुखार , सर्दी , ठंडी और अन्य सर्द ऋतू की बीमारियों के लिए भी लाभदायक है। बलसम की खेती के लिए सबसे अच्छा समय गर्मियों का होता है। मई और जुलाई माह के अंदर अंदर बालसम के पौधों की बुवाई कर दी जाती है। बलसाम के पौधों के बीजों को संपूर्ण रूप से विकसित यानी की अंकुरित होने मैं 10-12 दिनों का समय लगता है। ये भी पढ़े: ईसबगोल की खेती में लगाइये हजारों और पाइए लाखों

1. बाल सम के पौधे की बुवाई इस प्रकार करे :-

बालसम के पौधे को उगाने के लिए सबसे पहले आप यह देख ले कि मिट्टी उपजाऊ हो और अच्छी हो। प्रत्येक बालसम के पौधे को उगाने के लिए उनके बीच में कम से कम 30 से 40 सेंटीमीटर का अंतराल अवश्य रखें। इनकी बुआ जी आप अपने हाथों द्वारा भी कर सकते हैं या फिर हल द्वारा या ट्रैक्टर के द्वारा बड़े पैमाने पर भी कर सकते हैं। बुवाई से पहले बीजों को अंकुरित करना ना भूलें इससे कम समय में बीज विकसित होना शुरू हो जाते हैं।

2. बाल सम के पौधे की सिंचाई और उर्वरक व्यवस्था इस प्रकार करें :-

बालसम के पौधों की शुरुआती दिनों मे सिंचाई करना इतना ज्यादा आवश्यक नहीं होता है। जब इनके फूल आना प्रारंभ हो जाता है उसके बाद आप सप्ताह मे तीन चार बार अच्छे से सिंचाई करें। इसकी सिंचाई करते समय आप साथ में कीटनाशक भी डाल सकते हैं ताकि पौधे को कीट से बचाया जा सके। इसकी सिंचाई आप ड्रिप् माध्यम के द्वारा कर सकते हैं इससे पौधे की जड़ों में पानी जाएगा और ज्यादा वाष्पीकरण भी नहीं होगा। बालसम के पौधे के फूल लगने में लगभग 30 से 40 दिनों का समय लगता है।

3. बालसम के पौधों को कीट पतंगों और बीमारियों से इस प्रकार बचाएं :-

सूरज की रोशनी सभी पौधों को पूर्ण रूप से विकसित होने में काफी लाभदायक होती हैं और ऐसे मे बाल सम के पौधों को भी उगने के लिए सूर्य की धूप की बहुत आवश्यकता होती है। जितने भी कीड़े मकोड़े जो कि फूलों के अंदर टहनियों में छुपे रहते हैं वेद धूप के कारण नष्ट हो जाते हैं। यदि पौधे में कमजोरी यहां पर पत्तियां और टहनियां मुरझाने लगती हैं तो ऐसे में आप समझ जाइए कि किसी भी प्रकार की बीमारी लग चुकी है। ऐसे में आप कीटनाशक और खा दुर्गा सप्ताह में दो-तीन बार छिड़काव अवश्य करें। ऐसा करने से सभी कीट पतंग और अन्य बीमारियां पौधे को विकसित होने से नहीं रोक पाती हैं और पौधे का संपूर्ण रूप से विकास होता है। आशा करते हैं की गर्मियों मे उगाए जाने वाले फूलों के पौधे की जानकारी आपके लिए उपयोगी हो ।
कीचड़ में ही नहीं खेत में भी खिलता है कमल, कम समय व लागत में मुनाफा डबल !

कीचड़ में ही नहीं खेत में भी खिलता है कमल, कम समय व लागत में मुनाफा डबल !

कम लागत में ज्यादा मुनाफा कौन नहीं कमाना चाहता ! लेकिन कम लागत में खेत पर कमल उगाने की बात पर चौंकना लाजिमी है, क्योंकि आम तौर पर सुनते आए हैं कि कमल कीचड़ में ही खिलता है। 

जी हां, कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो कम लागत में ज्यादा उत्पादन, संग-संग ज्यादा कमाई के लिए कृषकों को खेतों में कमल की खेती करनी चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों ने कमल को कम लागत में भरपूर उत्पादन और मुनाफा देने वाली फसलों की श्रेणी में शामिल किया है। 

लेकिन यह बात भी सच है -

जमा तौर पर माना जाता है कि तालाब झील या जल-जमाव वाले गंदे पानी, दलदल आदि में ही कमल पैदा होता, पनपता है। लेकिन आधुनिक कृषि विज्ञान का एक सच यह भी है कि, खेतों में भी कमल की खेती संभव है। 

न केवल कमल को खेत में उगाया जा सकता है, बल्कि कमल की खेती में समय भी बहुत कम लगता है। अनुकूल परिस्थितियों में महज 3 से 4 माह में ही कमल के फूल की पैदावार तैयार हो जाता है।

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कमल के फूल का राष्ट्रीय महत्व -

भारत के संविधान में राष्ट्रीय पुष्प का दर्जा रखने वाले कमल का वैज्ञानिक नाम नेलुम्बो नुसिफेरा (Nelumbo nucifera, also known as Indian lotus or Lotus) है। भारत में इसे पवित्र पुष्प का स्थान प्राप्त है। 

भारत की पौराणिक कथाओं, कलाओं में इसे विशिष्ट स्थान प्राप्त है। प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति के शुभ प्रतीक कमल को उनके रंगों के हिसाब से भी पूजन, अनुष्ठान एवं औषथि बनाने में उपयोग किया जाता है। 

सफेद, लाल, नीले, गुलाबी और बैंगनी रंग के कमल पुष्प एवं उसके पत्तों, तनों का अपना ही महत्व है। भारतीय मान्यताओं के अनुसार कमल का उद्गम भगवान श्री विष्णु जी की नाभि से हुआ था। 

बौद्ध धर्म में कमल पुष्प, शरीर, वाणी और मन की शुद्धता का प्रतीक है। दिन में खिलने एवं रात्रि में बंद होने की विशिष्टता के अनुसार मिस्र की पौराणिक कथाओं में कमल को सूर्य से संबद्ध माना गया है।

कमल का औषधीय उपयोग -

अत्यधिक प्यास लगने, गले, पेट में जलन के साथ ही मूत्र संबंधी विकारों के उपचार में भी कमल पुष्प के अंश उत्तम औषधि तुल्य हैं। कफ, बवासीर के इलाज में भी जानकार कमल के फूलों या उसके अंश का उपयोग करते हैं।

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खेत में कमल कैसे खिलेगा ?

हालांकि जान लीजिये कमल की खेती के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है। खास तौर पर नमीयुक्त मिट्टी इसकी पैदावार के लिए खास तौर पर अनिवार्य है। 

यदि भूमि में नमी नहीं होगी तो कमल की पैदावार प्रभावित हो सकती है। मतलब साफ है कि खेत में भी कमल की खेती के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा जरूरी है। ऐसे में मौसम के आधार पर भी कमल की पैदावार सुनिश्चित की जा सकती है।

खास तौर पर मानसून का माह खेत में कमल उगाने के लिए पुूरी तरह से मददगार माना जाता है। मानसून में बारिश से खेत मेें पर्याप्त नमी रहती है, हालांकि खेत में कम बारिश की स्थिति में वैकल्पिक जलापूर्ति की व्यवस्था भी रखना जरूरी है।

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खेत में कमल खिलाने की तैयारी :

खेत में कमल खिलाने के लिए सर्व प्रथम खेत की पूरी तरह से जुताई करना जरूरी है। इसके बाद क्रम आता है जुताई के बाद तैयार खेतों में कमल के कलम या बीज लगाने का। इस प्रक्रिया के बाद तकरीबन दो माह तक खेत में पानी भर कर रखना जरूरी है। 

पानी भी इतना कि खेत में कीचड़ की स्थिति निर्मित हो जाए, क्योंकि ऐसी स्थिति में कमल के पौधों का तेजी से सुगठित विकास होता है। भारत के खेत में मानसून के मान से पैदा की जा रही कमल की फसल अक्टूबर माह तक तैयार हो जाती है। 

जिसके बाद इसके फूलों, पत्तियों और इसके डंठल ( कमलगट्टा ) को उचित कीमत पर विक्रय किया जा सकता है। मतलब मानसून यानी जुलाई से अक्टूबर तक के महज 4 माह में कमल की खेती किसान के लिए मुनाफा देने वाली हो सकती है।

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कमल के फूल की खेती की लागत और मुनाफे का गणित :

एक एकड़ की जमीन पर कमल के फूल उगाने के लिए ज्यादा पूंजी की जरूरत भी नहीं। इतनी जमीन पर 5 से 6 हजार पौधे लगाकर किसान मित्र वर्ग भरपूर मुनाफा कमा सकते हैं। 

बीज एवं कलम आधारित खेती के कारण आंकलित जमीन पर कमल उपजाने, खेत तैयार करने एवं बीज खर्च और सिंचाई व्यय मिलाकर 25 से 30 हजार रुपयों का खर्च किसान पर आता है।

1 एकड़ जमीन, 25 हजार, 4 माह -

पत्ता, फूल संग तना (कमलगट्टा) और जड़ों तक की बाजार में भरपूर मांग के कारण कमल की खेती हर हाल में मुुनाफे का सौदा कही जा सकती है। कृषि के जानकारों के अनुसार 1 एकड़ जमीन में 25 से 30 हजार रुपयों की लागत आती है।

इसके बाद 4 महीने की मेहनत मिलाकर कमल की पैदावार से अनुकूल स्थितियों में 2 लाख रुपयों तक का मुनाफा कमाया जा सकता है।

सेना में 18 साल नौकरी करने के बाद, गेंदे की खेती कर कमा रहे हैं लाखों

सेना में 18 साल नौकरी करने के बाद, गेंदे की खेती कर कमा रहे हैं लाखों

विगत कुछ दिनों में फूलों की खेती किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही हैं, जिसका मुख्य कारण कम लागत और बढ़िया मुनाफा है। पूरे भारत में गुलाब से लेकर सूरजमुखी और अन्य फूलों की खेती बड़े स्तर पर की जा रही है। किसान पारंपरिक खेती से फूलों की खेती की तरफ ज्यादा रुझान दिखा रहे हैं, जिसका मुख्य कारण कम लागत में अच्छा मुनाफा बताया जा रहा है। फूलों की खेती में जो सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है, वह है गेंदा की खेती। किसानों का कहना है, कि गेंदे की खेती में काफी अच्छा मुनाफा है। किसान यह भी बता रहे हैं, कि गेंदे की खेती में लागत कम है और इसे करना भी अन्य फूलों की खेती से आसान है। आज इस लेख में गेंदे की खेती करने वाले उस पूर्व सैनिक की कहानी बताएंगे जो विगत कुछ दिनों से गेंदा की खेती के लिए काफी चर्चित हो रहे हैं।

कौन है गेंदा की खेती करने वाला चर्चित किसान

गेंदा की खेती कर चर्चित होने वाले किसान जमशेदपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर रहने वाला एक आदिवासी बताया जा रहा है। आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि यह किसान पूर्व में 18 साल तक सैनिक के तौर पर सेवाएँ दे चुके हैं। 18 साल सेना में सेवा देने के बाद एरिक मुंडा नामक व्यक्ति अब गेंदा की खेती कर काफी चर्चित हो रहे हैं।


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क्या कहते हैं एरिक मुंडा

गेंदा की खेती कर चर्चित होने वाले किसान एरिक मुंडा का कहना है, कि इसी खेती से वो अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दे पा रहा है। वो कहते हैं, कि इसी खेती की कमाई की वजह से उनके बच्चों ने इंजीनियरिंग, बीकॉम(B.Com) की पढ़ाई की। गौरतलब है, कि उनके बच्चों ने पढ़ाई करने के बाद भी कहीं नौकरी करने की जगह उसी फूल की खेती करना उचित समझा और आज उनके सभी बच्चे उनके साथ फूल की खेती कर रहे हैं। एरिक मुंडा का कहना है, कि ये बच्चे उन किसानों के लिए मिसाल हैं, जो अभी भी नौकरी की तलाश में है या फिर बेरोजगार हैं।


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एरिक मुंडा 18 साल तक देश की सेवा करने के बाद जब वापस आए, तो वह दलमा के तराई वाले इलाकों में फूल की खेती करना शुरू किया। एरिक मुंडा के पुत्र अनीश मुंडा का कहना है, कि वह अपने पिता से प्रभावित होकर उन्हीं के साथ फूल की खेती शुरू कर दिए हैं। अनीश मुंडा यह भी कहते हैं, कि वह अपने पिता की तरह फूल की खेती में अपना भविष्य भी देख रहे हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आज का यह चर्चित किसान ने कभी मात्र चार एकड़ में गेंदे की खेती शुरू की थी और आज लाखों लाख मुनाफा कमा रहे हैं। एरिक मुंडा किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत है, जो आज भी नौकरी की तलाश कर रहे हैं या फिर बेरोजगार हैं।


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कई बीमारियों में गेंदे के रस का इस्तेमाल

गेंदे की बढ़ती मांग को देखते हुए भी किसान इसकी खेती की तरफ रुझान कर रहे हैं। आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि गेंदे के फूल के रस का इस्तेमाल बहुत सारी बीमारियों में किया जाता है। किसान यह भी बताते हैं, कि अगर आपके पास एक हेक्टेयर खेती योग्य जमीन है तो आप हर साल लगभग छः लाख की कमाई कर सकते हैं।
इस फूल की खेती कर किसान हो सकते हैं करोड़पति, इस रोग से लड़ने में भी सहायक

इस फूल की खेती कर किसान हो सकते हैं करोड़पति, इस रोग से लड़ने में भी सहायक

कैमोमाइल फूल में निकोटीन नहीं होता है, यह पेट से जुड़े रोगों से लड़ने में काफी सहायक है। इसके अतिरिक्त इन फूलों का प्रयोग सौंदर्य उत्पाद निर्माण हेतु किया जाता है। कैमोमाइल फूल की खेती किसानों के अच्छे दिन ला सकती है। देश में करीब समस्त प्रदेश फूलों की खेती अच्छे खासे अनुपात में करते हैं क्योंकि फूलों के उत्पादन से किसानों को बेहतर लाभ अर्जित होता है। भारत के फूलों की मांग देश-विदेशों में भी काफी होती है। राज्य सरकारें भी फूलों की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न प्रकार का अनुदान प्रदान कर रही हैं। अब हम बात करेंगे एक ऐसे फूल के बारे में जिसकी खेती किसानों को मालामाल कर सकती है। इस फूल की विशेषता यह है, कि इस फूल की खेती करने में बेहद कम लागत लगती है, जबकि आमंदनी अच्छी खासी होती है। इसी कारण से इस फूल की खेती को अद्भुत व जादुई व्यापार भी बोलते हैं। मतलब इसमें हानि होने का जोखिम काफी कम होता है।


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बतादें कि जिस फूल के बारे में हम बता रहे हैं, उस फूल का नाम है कैमोमाइल फूल इसका उत्पादन कर बेचने से किसान काफी लाभ उठा सकते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य के जनपद हमीरपुर में व बुंदेलखंड में इस फूल का उत्पादन अच्छे खासे पैमाने पर हो रहा है, निश्चित रूप से वहां के कृषकों की आय में भी वृद्धि हुई है। फायदा देख अन्य भी बहुत सारे किसान कैमोमाइल फूल की खेती करना शुरू कर रहे हैं। इस जादुई फूल का उपयोग होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण में किया जाता है। औषधियाँ बनाने के लिए इन फूलों को दवा बनाने वाली निजी कंपनियों द्वारा खरीदा जाता है।

कैमोमाइल फूल किस रोग में काम आता है

न्यूज वेबसाइट मनी कंट्रोल के अनुसार, कैमोमाइल फूल में निकोटीन नहीं होता है। यह पेट से संबंधित रोगों के लिए बहुत लाभकारी है। इसके अतिरिक्त भी इन फूलों का उपयोग सौंदर्य उत्पादों के निर्माण में होता है। स्थानीय किसानों ने बताया है, कि इस फूल के उत्पादन करने के आरंभ से किसानों की किस्मत बदल गई है। कम लागत में अधिक मुनाफा अर्जित हो रहा है, किसानों के मुताबिक आयुर्वेद कंपनी में जादुई फूलों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गयी है। अब फायदा देखते हुए बहुत से किसानों ने इस फूल की खेती शुरू कर दी है।

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जल्द ही करोड़पति बन सकते हैं

कैमोमाइल फूल की विशेषता यह है, कि इसे बंजर भूमि पर भी उत्पादित किया जा सकता है। इसकी वजह इस फूल के उत्पादन में जल खपत का कम होना है। साथ ही, एक एकड़ में इसकी खेती कर आप ५ क्विंटल कैमोमाइल फूल अर्जित कर सकते हैं, वहीं एक हेक्टेयर में करीब १२ क्विंटल जादुई फूल पैदा होते हैं। किसानों के अनुसार, इस फूल की खेती में आने वाले खर्च से ५-६ गुना अधिक आय प्राप्त हो सकती है। इसकी फसल तैयार होने में ६ महीने का समय लगता है। यानी किसान ६ माह में लाखों की आमंदनी कर सकते हैं। यदि आप इस कैरोमाइल फूल का उत्पादन आरंभ करते हैं, तो शीघ्र ही करोड़पति भी बन सकते हैं।
इस तरीके से किसान अब फूलों से कमा सकते हैं, अच्छा खासा मुनाफा

इस तरीके से किसान अब फूलों से कमा सकते हैं, अच्छा खासा मुनाफा

भारत में फूलों का अच्छा खासा बाजार मौजूद है। किसान के कुछ किसान फूलों की खेती करके अच्छा खासा लाभ कमाते हैं। साथ ही, कुछ किसान बिना फूलों का उत्पादन किये बेहतरीन आमदनी करते हैं। इस तरह के व्यापार से भी बेहतरीन मुनाफा लिया जा सकता है। भारत के किसान रबी, खरीफ, जायद सभी सीजनों में करोड़ों हेक्टेयर में फसलों का उत्पादन करते हैं। उसी से वह अपनी आजीविका को भी चलाते हैं। किसानों का ध्यान विशेषकर परंपरागत खेती की ओर ज्यादा होता है। हालाँकि, विशेषज्ञों के अनुसार किसान पारंपरिक खेती के अतिरिक्त फसलों का भी उत्पादन कर सकते हैं। वर्तमान में ऐसी ही खेती के संबंध में हम चर्चा करने वाले हैं। हम बात करेंगे फूलों की खेती के बारे में जिनका उपयोग शादी से लेकर घर, रेस्टोरेंट, दुकान, होटल, त्यौहारों समेत और भी भी बहुत से समारोह एवं संस्थानों को सजाने हेतु किया जाता है। फूलों की सजावट में प्रमुख भूमिका तो होती ही है, साथ ही अगर फूलों के व्यवसाय को बिना बुवाई के भी सही तरीके से कर पाएं तो खूब दाम कमा सकते हैं।

फूलों के व्यवसाय से अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं

भारत के बाजार में फूलों का अच्छी खासी मांग है। फूलों का व्यापार को आरंभ करने के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये का खर्च आता है। मुख्य बात यह है, कि फूलों के इस व्यवसाय को 1000 से 1500 वर्ग फीट में किया जा सकता है। फूल कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया है, कि कृषि की अपेक्षा फूलों के व्यवसाय से जुड़ रहे हैं। तो कम धनराशि की आवश्यकता पड़ती है। यदि इसके स्थान की बात की जाए तो 1000 से 1500 वर्ग फीट भूमि ही व्यवसाय करने हेतु काफी है। इसके अतिरिक्त फूलों को तरोताजा रखने हेतु एक फ्रिज की आवश्यकता होती है।
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फूलों के व्यवसाय में कितने मानव संसाधन की आवश्यकता पड़ेगी

किसान यदि फूलों का व्यवसाय करने के बारे में सोच रहे हैं, तो उसके लिए कुछ मानव संसाधन की आवश्यकता भी होती है। क्योंकि फूलों की पैकिंग व ग्राहकों के घर तक पहुँचाने हेतु लोगों की आवश्यकता पड़ती है। फूल की खेती करने वाले किसानों से फूलों की खरीदारी करने के लिए भी सहकर्मियों की जरूरत अवश्य होगी। भिन्न-भिन्न समय पर भिन्न-भिन्न प्रकार के फूलों की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए समस्त प्रकार के फूलों का प्रबंध व्यवसायी को स्वयं करना होगा। फूलों को काटने, बांधने एवं गुलदस्ता निर्मित करने के लिए भी कई उपकरणों की जरूरत पड़ेगी।

इस प्रकार बढ़ाएं फूलों का व्यवसाय

सामान्यतः हर घर में जन्मदिन, शादी, ब्याह जैसे अन्य समारोह होते रहते हैं। इसके अतिरिक्त प्रतिष्ठान हो अथवा घर लोग सुबह शाम पूजा अर्चना में फूलों का उपयोग करते हैं। अगर फूलों का कारोबार करते हैं, तो प्रतिष्ठान एवं ऐसे परिवारों से जुड़कर अपने कारोबार को बढ़ाएं। किसी प्रतिष्ठान, दुकान एवं घरों पर संपर्क करना अति आवश्यक है। उनको अवगत कराया जाए कि ऑनलाइन अथवा ऑनकॉल फूल भेजने की सुविधा भी दी जाती है। आप अपने फूलों के व्यापार को सोशल मीडिया जैसे कि व्हाटसएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम इत्यादि के माध्यम से भी बढ़ा सकते हैं।
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सर्वाधिक मांग वाले फूल कौन से हैं

दरअसल, बाजार में सैंकड़ों प्रकार के फूल उपलब्ध हैं। परंतु, सामान्यतः समारोहों में रजनीगंधा, कार्नेशन, गुलाब, गेंदा, चंपा, चमेली, मोगरा, फूल, गुलाब, कमल, ग्लैडियोलस सहित अतिरिक्त फूलों की मांग ज्यादा होती है।

फूलों से आपको कितनी आमदनी हो सकती है

हालाँकि बाजार में समस्त प्रकार के फूल पाए जाते हैं, इनमें महंगे एवं सस्ते दोनों होते हैं। दरअसल, गुलाब और गेंदा के भाव में ही काफी अंतर देखने को मिल जाता है। कमल का फूल ज्यादा महंगा बिकता है। कमल से सस्ता गुलाब व गुलाब से सस्ता गेंदा होता है। जिस कीमत पर आप किसानों से फूल खरीदें, आपको उस कीमत से दोगुने या तिगुने भाव पर अपने फूलों को बेचना चाहिए। अगर आप किसी फूल को 2 रुपये में खरीदते हैं, तो उसको आप बाजार में 6 से 7 रुपये के भाव से बाजार में आसानी से बेच सकते हैं। किसी विशेष मौके पर फूल का भाव 10 से 20 रुपये तक पहुँच जाता है। गेंदे के फूल का भाव 50 से 70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से प्राप्त हो जाता है। साथ ही, गुलाब का एक फूल 20 रुपये में बिक रहा है। वहीं मोगरा का फूल 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक भाव प्राप्त हो रहा है। जूलियट गुलाब के गुलदस्ते का भाव तकरीबन 90 पाउंड मतलब की 9,134 रुपये के लगभग है।
इन फूलों का होता है औषधियां बनाने में इस्तेमाल, किसान ऐसे कर सकते हैं मोटी कमाई

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रबी की फसलों की कटाई का दौर चल रहा है। कुछ ही दिनों बाद खेत खाली हो जाएंगे। इस बीच किसान ऐसी फसलों का चयन कर सकते हैं जो कम समय में ज्यादा कमाई दे सकें। 

इस कड़ी में हम आपको ऐसे फूल के बारे में बताने जा रह हैं जिसकी खेती करके किसान कम समय में मोटी कमाई कर सकते हैं। 

फूलों की खेती की तरफ बढ़ते हुए रुझान को देखते हुए कई राज्यों की सरकारें फूलों की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी भी मुहैया करवाती हैं। 

गर्मियों में बचे हुए समय में किसान भाई ग्लेडियोलस के फूलों की खेती बेहद आसानी से कर सकते हैं। यह फूल औषधीय गुणों से युक्त होता है, इसलिए इसका इस्तेमाल औषधियां बनाने में किया जाता है। 

इसके साथ ही ग्लेडियोलस के फूलों का इस्तेमाल कट फ्लॉवर्स, क्यारियों, बॉर्डर, बागों और गमलों की शोभा बढ़ाने के लिए किया जाता है। बाजार में इन दिनों इस फूल की जबरदस्त मांग है।

बाजार में उपलब्ध ग्लेडियोलस की उन्नतशील प्रजातियां

वैसे तो ग्लेडियोलस की 10 हजार से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन कुछ प्रजातियां मशहूर हैं, जिनकी खेती भारत के उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में की जाती हैं। 

इनमें से स्नो क्वीन, सिल्विया, एपिस ब्लासमें , बिग्स ग्लोरी, टेबलर, जैक्सन लिले, गोल्ड बिस्मिल, रोज स्पाइटर, कोशकार, लिंके न डे, पैट्रीसिया, जार्ज मैसूर, पेंटर पियर्स, किंग कीपर्स, किलोमिंगो, क्वीन, अग्नि, रेखा, पूसा सुहागिन, नजराना, आरती, अप्सरा, सोभा, सपना एवं पूनमें जैसी प्रजातियां बड़ी मात्रा में उपयोग में लाई जाती हैं।

भूमि की तैयारी और बुवाई

भूमि को तैयार करते वक्त मिट्टी की जांच अवश्य करवा लें। ग्लेडियोलस की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के मध्य होना चाहिए। साथ ही ऐसी भूमि का चुनाव करना चाहिए जहां सूरज की पर्याप्त रोशनी रहती हो। साथ पानी निकास की उचित व्यवस्था हो। 

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ग्लेडियोलस की खेती के लिए जमीन की 2 से 3 बार अच्छे से जुताई करना चाहिए। इसके बाद मिट्टी को भुरभुरा होने तक छोड़ दें। ग्लेडियोलस की फसल कंदों के रूप में बोई जाती है।

जिसे अप्रैल तथा अक्टूबर में बोया जा सकता है। एक हेक्टेयर भूमि पर बुवाई के लिए लगभग 2 लाख कंदों की जरूरत होती है। कंदों की बुवाई कतार में करनी चाहिए। कंद को 5 सेंटीमीटर की गहराई पर लगाना चाहिए, साथ ही पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रहनी चाहिए।

सिंचाई का प्रबंधन

खेत में पहली सिंचाई घनकंदों के अंकुरण के बाद करनी चाहिए। इसके बाद गर्मियों में 5-6 के बाद सिंचाई करते रहें। यदि यह फसल आपने सर्दियों के मौसम में बोई है तो सिंचाई 10-12 दिन के अंतराल में करें। 

सिंचाई के वक्त ध्यान रखें की पानी खेत में जमा न होने पाए। साथ ही जब फसल पीली हो जाए तब सिंचाई बंद कर दें।

फूलों के कटाई का समय

फूलों की कटाई पूरी तरह से ग्लेडियोलस की किस्मों पर निर्भर करती है। अगेती किस्मों में कंदों की बुवाई के लगभग 60-65 दिन बाद कटाई शुरू हो जाती है। 

जबकि मध्य किस्मों 80-85 दिनों बाद तथा पछेती किस्मों में 100-110 दिनों बाद फूलों की कटाई प्रारंभ हो जाती है। 

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बाजार में है ग्लेडियोलस के फूलों की जबरदस्त मांग

चूंकि इन फूलों का उपयोग सजावट के लिए किया जाता है, इसलिए हर समय बाजार में इनकी मांग बनी रहती है। ग्लेडियोलस के फूलों का ज्यादातर उपयोग शादियों और होटलों में सजावट के लिए किया जाता है। 

इसके साथ ही गुलदस्ते बनाने में भी इनका उपयोग किया जाता है। इसलिए किसान भाई इसकी खेती करके फूलों को ऊंचे दामों पर बेंच सकते हैं और बंपर मुनाफा कमा सकते हैं।